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भोपाल 
मध्य प्रदेश स्टेट साइबर पुलिस ने फर्जी सिम कार्डों की बिक्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। 'ऑपरेशन फास्ट' (फर्जी सिम एक्टिवेशन टर्मिनेशन) के तहत पुलिस ने 20 जिलों में 94 सिम विक्रेताओं को पकड़ा है। अब तक 50 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं और जांच जारी है। इस ऑपरेशन में 44 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं।

मध्य प्रदेश में ऑपरेशन फास्ट: फर्जी सिम की बिक्री में 44 गिरफ्तार
फर्जी सिम का इस्तेमाल कंबोडिया, थाईलैंड, झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में साइबर फ्रॉड, डिजिटल उत्पीड़न जैसी घटनाओं के लिए हो रहा था। साइबर एसपी प्रणय नागवंशी ने आईएएनएस से बातचीत में बताया कि इंडियन फोर्सेस कम्युनिकेशन दिल्ली से प्राप्त विशाल डेटा से इस अभियान की शुरुआत की गई।

उन्होंने बताया कि हमें साइबर क्राइम, फ्रॉड और डिजिटल उत्पीड़न में इस्तेमाल होने वाले नंबरों की जानकारी मिली। विश्लेषण से पता चला कि ये सिम फर्जी नाम-पते पर जारी किए गए थे। कई पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) एजेंट इन्हें अवैध रूप से बेच रहे थे। जांच में सामने आया कि यह रैकेट मध्य प्रदेश के कई जिलों में फैला है। हमने सबसे पहले 20 जिलों को चिन्हित किया और जिला पुलिस के साथ समन्वित कार्रवाई शुरू की।"

उन्होंने बताया कि ऑपरेशन 15 दिनों में पूरा किया गया, जिसमें इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और भोपाल के साइबर कार्यालयों के साथ जिला पुलिस की संयुक्त टीम ने काम किया। छह सदस्यीय स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने प्रदेशव्यापी अभियान चलाया।तारीखें निर्धारित कर समन्वय स्थापित किया गया। आरोपियों से बरामद सामान में 24 लूप सिम (फर्जी सक्रिय सिम), 26 मोबाइल और लैपटॉप, 7 थंब इंप्रेशन मशीनें, तीन डेबिट कार्ड, दो पासबुक, 100 फेक सिम और कई दस्तावेज शामिल हैं। ये सामान साइबर ठगों को फर्जी आईडी बनाकर फ्रॉड करने में मदद करते थे।

नागवंशी ने कहा, "कई ग्राहकों को पता ही नहीं कि उनके नाम पर कितने सिम सक्रिय हैं। हम उन सभी को 'संचार साथी' पोर्टल के जरिए चेक करने की सलाह देते हैं। अगर आपकी जानकारी के बिना सिम लिया गया हो तो उसे निष्क्रिय कराएं। अभी 20 जिलों में कार्रवाई हो रही है, जल्द अन्य जिलों में भी विस्तार होगा।"

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